Monday, June 4, 2012

सरकार भ्रष्टाचार से नही आरोंपों से परेशान है।


            एक तरफ देश के लोग हैं जो भष्टाचार से परेशान हैं, दूसरी तरफ सरकार है जो भ्रष्टाचार के आरोंपों से परेशान है। दोनों की अपनी अपनी परेशानी है।
           पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में आने वाले परिणाम अब तक टीस रहे हैं।दूसरी तरफ देश की आर्थिक स्थिति काबू से बाहर जा रही है।जीडीपी के आंकड़े तेजी से नीचे जा रहे हैं। जिसके कारण तुरत फुरत पैसे   कमाने के लिए आने वाली FII  अपना पैसा निकाल कर वापिस जाने लगी हैं। जिसके कारण रूपये की कीमत और तेजी से गिर रही है, जिसके चलते हमारे आयात महंगे हो रहे हैं। भारी मात्रा में आयात किया जाने वाला तेल महंगा मिल रहा है।
          दूसरी तरफ पूरा कॉर्पोरेट सैक्टर नीतिगत लकवा मार जाने की शिकायत कर रहा है।कॉरपोरेट सैक्टर चाहता है की सरकार सुधारों के नाम पर उसे और ज्यादा मुनाफे कमाने की सुविधा प्रदान करे।देश की जनता पर सब्सिडी कम करने के नाम पर ज्यादा बोझ डाला जाये ताकि उसके लिए ज्यादा छूट देने की जगह बन सके। और सरकार ने अब तक किया भी यही है। उद्योगपतियों को भारी  रियायतें दी गयी हैं और जनता पर ज्यादा से ज्यादा बोझ डाला गया है।
           यहाँ तक तो ठीक था परन्तु दूसरा संकट ये खड़ा हो गया की सरकार के मंत्रियों और फैसलों के कारण कॉरपोरेट  सैक्टर ने इतने बड़े बड़े घोटाले किये की आम आदमी को तो उसकी रकम की बिंदियाँ भी समझ में नही आती। वह बस इतना जानता है की देश को बुरी तरह से लूटा जा रहा है।सुप्रीमकोर्ट द्वारा 2G के लाइसेंस कैंसिल करने के अलावा लूटा गया एक नया पैसा भी वापिस नही आया है।
             अवैध खनन करने वाली कम्पनियां आज भी पूरे शान से कारोबार कर रही हैं। [प्रधानमन्त्री कहते हैं की उन्होंने कुछ नही खाया है, मान लिया की उन्होंने घोटाले नही रोके और जनता का खजाना लुट गया परन्तु गठबंधन के सहयोगियों के लिए इतनी आँख तो बंद करनी ही पडती है। ]
               लेकिन जो विस्वास का संकट खड़ा हो गया है उसे केवल एक विश्वसनीय जाँच प्रणाली की स्थापना करके ही बहाल किया जा सकता है। एक ऐसी जाँच प्रणाली जो अपने स्थापना से लेकर हर बात में सरकार के नियन्त्रण से मुक्त हो। सारी निजी कंपनियां उसके दायरे में हों।तभी जनता का विश्वास बहाल होगा।
--रामबिलास -- 

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