Tuesday, March 29, 2011

तानाशाही की अमेरिकी परिभाषा

 जब अमेरिका किसी देश को और उसके शासन को तानाशाह घोषित करता है तो पूरा मिडिया उसी दिन से उसके बारे में तानाशाह-तानाशाह का इतना राग अलापता है की आम आदमी के दिमाग में भी यह बात बैठ जाती है.लेकिन तानाशाही की अमेरिकी परिभाषा का केवल एक ही मापदंड है की वह अमेरिका के कितना अनुकूल या प्रतिकूल है.
                  पूरी दुनिया में अमेरिका अपने स्वार्थ के लिए सैनिक शासकों का समर्थन करता है.पूरी दुनिया में आज भी जहाँ जहाँ राजशाही है सभी जगह उन्हें अमेरिकी समर्थन हासिल है. यहाँ तक की उनके खिलाफ होने वाले जनांदोलनो को कुचलने का अमेरिका सीधे या टेढ़े  रूप में समर्थन करता है. अभी कल की बात है जब अफ्रीका की रंगभेदी सरकार को हटाने के लिए पूरी दुनिया एकमत थी तब अमेरिका और उसकी सहयोगी पश्चिमी सरकारें ही थी जो उसके समर्थन में खड़ी थी. क्या वह अमेरिका ही नही है जो पूरे विश्व समुदाय की अवहेलना करके सयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को अकेले वीटो करता रहा है. अमेरिका ने अकेले सबसे ज्यादा बार सयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो का इस्तेमाल किया है.
                               इसके अलावा दूसरी कितनी अंतर्राष्ट्रीय सन्धियाँ हैं जो अमेरिकी सोच के अनुसार हैं और अमेरिका पूरी दुनिया के देशों पर उनको स्वीकार करने के लिए दबाव डालता है जैसे, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से सम्बन्धित संधि, रासायनिक हथियारों से सम्बन्धित संधि, परमाणु अप्रसार संधि और दूसरी इसी तरह की अनेक संधियाँ हैं. परन्तु क्या यह आश्चर्य की बात नही है खुद अमेरिका ने इन पर दस्तखत नही किये हैं. यहाँ तक की अमेरिका यह शर्त तक जुडवाने के लिए लगातार दबाव डालता रहा और कामयाब भी हो गया की दुसरे देशों में की जाने वाली कार्यवाहियों में अमेरिकी सैनिकों द्वारा किये जाने वाले अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकद्दमा नही चलाया जा सकता. अमेरिका लगातार दुनिया पर इस बात का दबाव डालता रहा है की वह अमेरिकी नागरिकों को किसी भी अपराध के लिए उस देश में मुकद्दमा चलाने से छूट प्रदान करे. पाकिस्तान में हल ही में घटी घटना और विकिलीक्स के खुलाशों से यह बात साफ हो गयी है.जबकि अमेरिकी सरकार हर रोज किसी देश के शासक और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे आरोप गढ़कर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से उनके खिलाफ वारंट जारी करवाता रहता है. अमेरिका ने आज तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा उसके खिलाफ बहुमत से [लगभग सर्वसम्मती से] पारित सभी प्रस्तावों को मानने से इंकार कर दिया है.
                   जब अमेरिका को किसी देश में तख्ता पलट करना होता है तो वह उस सरकार के खिलाफ झूठे आरोप गढ़ता है और फिर मिडिया और खासकर टी.वी. चैनलों के माध्यम से उनका प्रचार करना शुरू करता है. अमेरिका इस इंग्लिश कहावत के अनुसार काम करता है की  अगर आपको पडौसी का कुत्ता मारना है तो पन्द्रह दिन पहले से उसके पागल होने का प्रचार करना शुरू कर दो, पन्द्रह दिन बाद जब आप उस कुत्ते को मारेंगे तो कोई आपका विरोध नही करेगा.
                क्या अमेरिका  को यह हक है की वह दुसरे देशों पर तानाशाही के विरोध के नाम पर अपनी पसंद की सरकार थोपता रहे. आखिर कब तक विश्व समुदाय अमेरिकी स्वार्थ को साधने के लिए उसके अपराधों को चुपचाप बर्दास्त करता रहेगा.







 
                  

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