Sunday, March 20, 2011

लीबिया पर नाटो हमला बर्बरतापूर्ण, आपराधिक और अस्वीकार्य है !

एक बार फिर UN प्रस्ताव का बहाना लेकर नाटो सेनाओं ने एक छोटे देश पर हमलावर कार्यवाही की है. यह हमला किसी भी लिहाज से स्वीकार्य नही हो सकता है , और UN प्रस्ताव का दुरूपयोग है. जैसे, १. जब नाटो सेनाओं ने लीबिया पर 'नो फ्लाई ज़ोन' लागु करने के नाम पर हमला किया उस समय गद्दाफी युद्ध विराम की घोषणा कर चुके थे और उसकी सेनाओं का कोई भी विमान आसमान पर नहीं था . 
२.  ग्द्धाफी के UN प्रस्ताव स्वीकार कर लेने और युद्ध विराम की घोषणा के बाद भी नाटो देशों का यह कहना की हमला जरुर होगा उनके असली मकसद को समझने के लिए काफी है.
३.  नाटो सेनाओं के हमले में राजधानी त्रिपोली के नागरिक ठिकाने शामिल हैं और उन ठिकानों में कर्नल गद्धाफी का घर भी शामिल है.
४.  फ़्रांस,ब्रिटेन और अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा है की गद्धाफी के हटने तक हमले जारी रहेंगे, इसका मतलब है की छोटे देशों को अपनी सरकार अमेरिका की पसंद के हिसाब से बनानी होगी.
५.  लीबिया में हथियार बंद विद्रोह है और नागरिक आन्दोलन केवल एक बहाना है. विद्रोहियों ने शावेज के बातचीत और मध्यस्था के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था जो इस बात को साबित करता है की यह लीबिया में लोकतंत्र की मांग से आगे कुछ विदेशी शाजिश है.
६.  संयुक्त रास्ट्र एक बार जिम्मेदारी पूर्ण भूमिका निभाने में असफल रहा है और अमेरिका और पश्चिमी देशों के हाथ का खिलौना साबित हुआ है.
७. हमलों के बाद दुःख जताने वाले बड़े देश जैसे रूस, चीन,भारत और ब्राजील अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब रहे हैं और उन्हें अपने व्यापारिक हितों को ध्यान में रखकर कम किया है.
                   इसलिए अब ये अवाम की जिम्मेदारी है की वो अपनी अपनी सरकारों की भूमिका से अलग हटकर इन हमलों का विरोध करे. विश्व समुदाय एक बार फिर लीबिया की जनता को बचाने के नाम पर लीबिया की जनता के विदेशी सेनाओं के द्वारा किये जाने वाले कत्लेआम का मूक गवाह है, एक बार फिर तीसरी दुनिया के एक छोटे देश की सम्प्रभुता को बड़ी ताकतें अपने पैरों के नीचे कुचल रही हैं.
                             इसका विरोध करो.










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